ABOUT MAIN MENU इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झारखण?

About Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झारखण?

About Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झारखण?

Blog Article

नोट : यह तिथि क्रम पाश्चात्य इतिहासकारों ने दिया है । सनातन संस्कृति का कोई तिथिक्रम नहीं है। सनातन का अर्थ शाश्वत है । यह सृष्टि के आरंभ से ही है अतः तिथिक्रम महत्वपूर्ण नहीं । तिथिक्रम पाश्चात्य अवधारणा है । हम विषगुरु लोग इसमें विश्वास नहीं रखते ।

जब ब्रिटिश लोग भारत पर राज कर रहे थे तो इसका आर्थिक लाभ ब्रिटेन को हो रहा था। भारत में सस्ते दामो में कच्चे काम का उत्पादन किया जाता था और उन्हें विदेशो में भेजा जाता था। उस समय भारतीयों को भी ब्रिटिशो द्वारा बनायी गयी चीजो का ही उपयोग पड़ता था।

फारसी सम्राट, नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण किया

पठन सेटिंग्स खाता बनाएँ लॉग-इन करें व्यक्तिगत उपकरण खाता बनाएँ

पुराणों की भविष्यवाणी शैली में कलियुग के नृपतियों की तालिकाओं के साथ शिशुनाग, नंद, मौर्य, शुंग, कण्व, आंध्र तथा गुप्तवंशों की वंशावलियाँ भी प्राप्त होती हैं। मौर्य वंश के संबंध में विष्णु पुराण में अधिक उल्लेख मिलते हैं, ठीक इसी प्रकार मत्स्य पुराण में आंध्र वंश का उल्लेख मिलता है। वायु पुराण से गुप्त सम्राटों की शासन-प्रणाली पर प्रकाश पड़ता है। पुराणों में शूद्रों और म्लेच्छों की वंशावली भी दी गई है। पुराण अपने वर्तमान रूप में संभवतः ईसा की तीसरी और चौथी शताब्दी में लिखे गये।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ समझौता

तीसरा गोलमेज सम्मेलन कब आयोजित किया गया था?

हम more info और हमारी आजादी (गूगल पुस्तक; अंग्रेजों के पूर्व से लेकर इक्कीसवीं सदी के आरम्भ तक भारत का इतिहास)

बुर्जहोम (कश्मीर), गुफकराल (कश्मीर), मेहरगढ़ (पाकिस्तान), चिरांद (बिहार), दाओजली हैडिंग (त्रिपुरा/असम), कोल्डिहवा (यूपी),

सातवाहन वंश: जानिए सातवाहन वंश के इतिहास और इसके योगदान से जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में

obtain your purpose with our mentorship application, giving normal direction and productive exam tactics.

अभिलेखों से विभिन्न कालों की धार्मिक स्थिति का विवरण भी मिलता है। अशोक के अभिलेखों से पता चलता है कि उसके काल में बौद्ध धर्म का विशेष प्रचार था तथा वह स्वयं इसके सिद्धांतों से प्रभावित था। उदयगिरि के गुहालेखों में उड़ीसा में जैनमत के प्रचार का ज्ञान होता है। गुप्तकालीन अभिलेखों से पता चलता है कि गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उस काल में भागवत धर्म की प्रधानता थी। यह भी पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर सूर्य, शिव, शक्ति, गणेश आदि की पूजा होती थी। अभिलेखों के अध्ययन से धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव का भी परिचय मिलता है। अशोक ने अपने बारहवें शिलालेख में आदेश दिया है कि सब मनुष्य एक दूसरे के धर्म को सुनें और सेवन करें। कभी-कभी अभिलेखों में व्यापारिक विज्ञापन भी मिलता है। मालवा के अभिलेख में वहाँ के तंतुवायों (जुलाहों) के कपड़ों का विज्ञापन इस प्रकार दिया हुआ है-

सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प तथा उद्योग धन्धे

तराइन का प्रथम युद्ध (मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज तृतीय द्वारा पराजित)

Report this page